BHRAMAR KA JHAROKHA DARD E DIL WELCOMES YOU

Friday 30 December 2011

नया साल अच्छा होगा !!

हरियाली हो वर्षा होगी

लहराएगी खेती

पेट भरेगा छत भी होगी

शेर -भेंड एक घाट पियेंगे पानी

मन मयूर भी नाच उठेगा

नया साल अच्छा होगा !!

आशु-आशा पढ़े लिखें

रोजगार भी पाएंगे

आशा की आशा सच होगी

सासबहू- माँ बेटी होगी

मन कुसुम सदा मुस्काएगा

नया साल अच्छा होगा !!

रिश्ते नाते गंगा जल से

पूत-सपूत नया रचते

बापू-माँ के सपने सजते

ज्ञान ध्यान विज्ञानं बढेगा

मन परचम लहराएगा

नया साल अच्छा होगा !!

खून के छींटे कहीं न हो

रावन होली जल जायेगा

घी के दीपक डगर नगर में

राम -राज्य फिर आएगा

मन -सागर में ज्वर उठेगा

नया साल अच्छा होगा !!


सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५

30.12.2011

6.35 P.M., U.P.



DE AISA AASHISH MUJHE MAA AANKHON KA TARA BAN JAOON

Sunday 4 December 2011

देव-आनंद जी हमारे प्रिय अभिनेता को श्रद्धांजलि


देव-आनंद जी हमारे प्रिय अभिनेता को श्रद्धांजलि

( फोटो साभार गूगल/नेट से )

(1923-2011)

देव आनंद हमारे सदा बहार भारतीय सिनेमा के रोमांटिक नायक कल शनिवार की रात्रि में हृदयाघात के कारण हमें छोड़ कर चले गए सदा सदा के लिए हमसे दूर ..जो की ८८ वर्ष हमारे बीच हँसते मुस्कुराते रहे …..
दुनिया से जाने वाले जाने चले जाते हैं कहाँ ….???
हमारे प्रिय देव आनंद जी जो की कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे अपने पुत्र सुनील के साथ लन्दन अपने स्वास्थ्य की जांच के लिए गए हुए थे

देव आनंद जी ने १९४६ में हम एक हैं से नायक की भूमिका से हमारे बीच आये और जिद्दी जब १९४७ में आई तो सुपर स्टार बन गए थे इस के बाद तो उन्होंने कभी मुड़कर पीछे नहीं देखा ! उनके द्वारा मुख्य अभिनीत फ़िल्में पेईंग गेस्ट , बाजी , ज्वेल थीफ ,सी आई दी , जनि मेरा नाम, आमिर-गरीब , वारंट, हरे रामा हरे कृष्णा ,और देश परदेश आदि थीं !

हमारे प्रिय देव आनंद जी को भारतीय सिनेमा में अद्भुत योगदान के लिए पद्म भूषण पुरस्कार से २००१ में नवाजा गया था और २००२ में इन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार भी दिया गया था !
बाद में देव जी ने १९४९ में फिल्म बनाना शुरू किया नवकेतन इंटर नेशनल के नाम से -और लगभर ३५ सिनेमा बनाये .
हम बचपन में सुनते थे की काली पोशाक और सूट पर इनके लिए प्रतिबन्ध लग गया था कलियाँ फूल सब इन पर निछावर- दीवाने थे ! ऐसे थे हमारे सदा-बहार इन के बोलने की अदा मुस्कुराने की अदा आज भी हमारे नैनों में समाई है !

काला पानी और गाईड में सुन्दर अभिनय के लिए उन्हें दो फिल्म फेयर पुरस्कार भी दिया गया जो आस्कर के समान है ! उस वर्ष गाइड फिल्म को सबसे अच्छी फिल्म और बेस्ट डाइरेक्टर के लिए चुन कर आस्कर के लिए भी भेजा गया था इस सिनेमा का अंग्रेजी रूपांतरण भी पर्ल के साथ मिल कर किया गया था गुड अर्थ के नाम से !
तत्पश्चात १९९३ में उन्हें फिल्म फेयर के लाइफ टाईम अचीवमेंट पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया और इसी के जैसा १९९६ में विडिओकान लाइफ टाईम अचीवमेंट पुरस्कार दिया गया !
फिर बाद में विदेशों में भी अमेरिकन फिल्म प्रोजेक्ट के सांग आफ लाइफ के लिए भी वे कार्यरत थे !
देव आनंद जी अपने तीन भाइयों में से दूसरे थे जो हिंदी सिनेमा के लिए न्योछावर थे ! उनके दो और भाई चेतन आनंद और विजय आनंद हैं ! शेखर कपूर की माता शील कांता कपूर उनकी बहन हैं!
इन के द्वारा अभिनीत फिल्मों के गाने मन छू हमें भी सदा बहार बना जाते हैं ………

दीवाना मस्ताना हुआ दिल
धीरे धीरे चल चाँद
गाता रहे मेरा दिल
है अपना दिल तो आवारा न जाने किस पे ..
जाएँ तो जाएँ कहाँ ..
जीवन के सफ़र में राही मिलते हैं बिछड़ जाने को ..
खोया खोया चाँद खुला आसमान
कोई सोने के दिल वाला
मै जिन्दगी का साथ निभाता चला गया
माना जनाब ने पुकारा नहीं
फूलों के रंग से …
ऐसे तो ना देखो …
मेरा मन तेरा प्यासा …
दिन ढल जाए हाय रात न ..
और शोखियों में घोला जाए थोडा सा शबाब उसमे फिर मिलायी जाए …

तो आइये हमारे प्रिय दोस्तों इन्हें दिल से श्रद्धा सुमन अर्पित करें प्रभु इनकी आत्मा को भी सदा सदा के लिए सदा बहार रखे और इन के परिवार जनों ले लिए हम प्रभु से दुवाएं करे की इस बिछड़ने की घडी को सहते हुए वे उनके द्वारा दिए अनूठे योगदान को इस समाज के लिए और पोषित करें …
हरी ॐ तत-सत
भ्रमर ५

पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले झूठा ही सही …


DE AISA AASHISH MUJHE MAA AANKHON KA TARA BAN JAOON

Monday 21 November 2011

शनि ग्रह -कटा-पेड़


शनि ग्रह -कटा-पेड़


स्थानीय देवता के कारनामे ..



चामुंडा देवी के पास जहां लोगों का दाह संस्कार किया जाता है कहते हैं की साल में २६५ दिन होते हैं तो २६४ लोग नहीं आते बल्कि ज्यादा ही २६६ तो ही जाते हैं ..ऊंचे नीचे पहाड़ .गहरी खाइयां ..कहीं दो पहाड़ के बीच बाँध जल से भरे काल दीखते हैं ...अपने गंतव्य पर जा कर जाइये तो रात में लगता है गंगा में जौ बो के उपजा लिए ..


.ये सब रात में फिर भी भूत बन छाती पर चढ़ कर दबाते हैं ...जोर से चीख और रोना जाता है शायद पड़ोस वाले सुनते ही हों ..लेकिन किसे होश सब जाम टकराए पैग लगाए ..इन हिमालय की वादियों में पड़े ..अब उन्हें क्या पड़ी हम सा रात रात भर जागें ??


अभी चार दिन पहले चार लोग कन्धा दिए किसी सज्जन को लिए चले गए इसी मेरे भवन के सामने से इसी गाँव से ..पीछे भारी भीड़ ..राम नाम सत्य है ..ये सत्य देखने कौतूहल वश मै भी निकला हाथ जोड़े हालांकि कुछ सत्य ख़ास नहीं दिखा वही सदियों का कहा सुना ..फूल माला ..भीड़ ..सब का फेंक कर आना - मुह में लकड़ी डाल --सर फोड़ .और ....

फिर पुनः अन्दर अपने काम में तल्लीन हो गया ....

चार दिन भी नहीं बीते की कल शुक्रवार को फिर कोई चल बसे इस दुनिया से जाने सब का मोह क्यों भंग हो जा रहा ?...भीड़ ..फिर मै निकला अपने भवन से राम नाम सत्य है गाया और हाथ जोड़ अन्दर घुस आया .....

आज शनिवार पता चला कल जाने वाले बाबा यहीं मेरे सामने यानी पड़ोस के भाई जी के पिता थे जो दुसरे भाई के हिस्से बँटे थे पहाड़ों में ऊपर घर में रहते थे .....मेरे घर के सामने दायीं तरफ वरामदा और उसके आगे १५ फीट चौड़ी सडक फिर उन भाई जी का कोसी का पेड़ लम्बा ५० (पचास) फुट ऊंचा ..कुछ लोग सहयोगी आये रस्सी बाँधी गयी हरे पेड़ में और आराकसी पावर कटर लग गया ....मोटा पेड़ करीब एक मीटर परिधि का ......


मै अपने काम में व्यस्त ..जब लग जाओ तो भूख प्यास भी भूल जाती है ...बच्चा मन कौतूहल तो बहुत हो रहा था की जा के देखूं पेड़ कैसे कट रहा .......



कहते हैं शनि महराज घूमते रहते हैं और कुछ अच्छा पुण्य काम भी देखते हैं -------बही खाता लिखते हैं----- काले काले हैं पर मन के नहीं तन के बस ......शायद आये उड़े हमारे आस पास अब हमारे तीसरी आँख तो नहीं की उन्हें कुछ देखें ....

.हम तो दर्शन कर रहे थे हजरत निजामुद्दीन औलिया का अब्दुल रशीद जी के ब्लॉग पर कुछ शिकवा शिकायत भी .....कुछ यादें जुड़ जाती हैं हमारे साथ हमेशा के लिए ...दुवाएं ले हम अब पधारे ..


“राजकमल इन पञ्चकोटि महामणि कौन बनेगा करोड़पति” !!! में जहां की हमारे भ्राता श्री मशगूल थे पांच करोड़ पति बनने में ..आज कल कोई पांच अरबवां बच्चा बनना चाह रहा तो कोई पांच करोड़ का पति ......आनंद में हम खोये ही थे कि .......



जोर का धमाका बिजली कौंधी और अरा . .. रा ..कि धडाम कीआवाज ..अब मुझसे नहीं रहा गया मन बेचैन सोचा बाहर निकलूँ ...तो कैसे निकलूँ बड़ा भारी हरा भरा पेड़ डालियाँ पत्ते मेरा दरवाजा छत वरामदा घेरे ........गाडी कि पार्किंग में पूरा सोया पड़ा ...साथ में चार बिजली के खम्बे धराशायी ..केबल और ब्राड बैंड का मोटा केबल टेलीफोन का खम्बा सब ................


सारा कुछ शांत ...एक मोटर साईकल सोयी पड़ी ....इस पर सारे बिजली के तार .....सवार दूर गिर कर छिटक गया था शायद उसने भी शनि के लिए कभी काली गाय को रोटी या सतरंगी खिचड़ी खिला दी होगी ....


मै अवाक ..हतप्रभ ....भला हो शनि का अगर उन्होंने हमको नापा जोखा नहीं होता और ये बिजली का तार उसका कोण ४५ डिग्री नहीं कर देता ९० डिग्री होता तो पूरे के पूरे २५ फीट हमारे ऊपर ..और मेरे भवन के पूर्व और दक्षिण का एक कोना तोड़ते हुए वृक्ष महाराज ......गाडी पार्किंग की जगह में .......अब आप हालात समझभ्रमरको कुछ और दुवा दे ही दीजिये ....हम आप सब के पहले से ही आभारी हैं ............. आप सब का आशीष ही रहा की मै कौतूहल से भरा वरामदे में नहीं निकला था जहाँ की अक्सर गुन गुनी धूप के लिए चहल कदमी करता हूँ



फिर जब हम बाहर झाँके-निकले ....गधे की सींग से गायब रस्सी थामने वाले लोग आये रस्सी टूट विखर गयी थी ..कुछ और लोग फिर भीड़ ..बिजली वाले को फोन ....बिजली वालों कि उछल कूद यफ आई आर कि धमकी ...उपप्रधान प्रधान का आना सब मिल समझाना ..सडक पर भीड़ ..रास्ता बंद जाने क्या क्या हंगामा ..पावर कटर वाला फिर नहीं चेहरा दिखाया गाँव वाले मिल जुल आरा कशी ...पेड़ बोटी बोटी काट अलग करना ...फिर रात भर अँधेरे ठण्ड में काटना दुसरे दिन रविवार बिजली आई ...

जय हो शनिदेव आप साढ़ेसाती ही नहीं चढाते जान बचाते भी हैं ..शनि का दिन स्कूल की छुट्टी हो चुकी थी आधे दिन पर ही नहीं तो इतने बच्चे इस राह पर ... जाने कितना बड़ा हादसा हो जाता .....प्रभु सब का खैर करें ...........


पेड़ काटने वाले कृपया ध्यान रखें ...


- आप भीम नहीं हैं की कुछ भी थाम लेंगे सड़ी गली रस्सी लेकर ..अच्छी मजबूत रस्सी लें

-बिजली के खम्बे-- तार हों-- तो बहुत सावधानी बरतें अच्छा हो बिजली वाले को थोड़ी देर के लिए बात कर मना लें .....और बिजली काट दी जाये आज कल तार के इतने जाल बिछे हैं की एक लाईन ट्रिप भी हुयी तो दूसरी से कनेक्शन चालू रहता है ....


-काटते समय पेड़ को जिस तरफ गिराना है उस का सही आंकलन करें उस तरफ पहले कुछ कटाई करें -अधिक ऊंचाई से काटें

- यदि पास भवन हैं तो नजरअंदाज कर घर वाले को बता दे --पेड़ कभी भी काबू से बाहर हो घूम जाता है -अच्छा हो पहले डालियों की छंटनी कर लें

-यदि पास में सड़क या रास्ता है तो उधर किसी को खड़ा कर दें राहगीरों को बचाने हेतु

- जब पेड़ लगभग कट चुका हो थोड़ा बाकी हो तो रस्सी से ही आजमाइश कर लें पेड़ के पास से हट जाएँ रस्सी लम्बी हो और ऊंचाई और मजबूत जगह पर बंधी हों

- आज कल कुछ स्टील के तार और पुल्ली-विन्च मशीन से उपकरण प्रयोग में लाये जा सकते हैं जो आस पास किसी ठेकेदार के पास मिल जाते हैं -जिससे धीरे धीरे इतना कस देते हैं की पेड़ महराज बिना पूरा कटे ही जय श्री राम ....


और "भ्रमर " जैसे बच्चों का जो की सदा कौतूहल से भरे कुछ घटना में देखने दौड़ जाते हैं को विशेष रूप से बचाएं -खुद को भी बचाएं क्यों की हरा पेड़ काटना जुर्म है इसकी इजाजत ऐसे वाकये में लेनी होती है !

शुक्ल भ्रमर

१३.११.२०११

यच पी






DE AISA AASHISH MUJHE MAA AANKHON KA TARA BAN JAOON